तितलियां मिटेंगी तो इंसान भी नहीं बचेगा
लैटिन अमेरिकी देश इक्वाडोर में स्थित अमेजन के जंगलों में रिसर्चरों की एक टीम तितलियों के व्यवहार का अध्ययन कर रही है. वे कीड़ों की आबादी पर जलवायु परिवर्तन का जैसा असर देख रहे हैं, बहुत चिंताजनक है.
बायोइंडिकेटर तितली
इक्वाडोर के अमेजन जंगल में कुयाबेनो वाइल्डलाइफ रिजर्व अपनी समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के लिए प्रसिद्ध है. अगस्त 2023 से जीव वैज्ञानिकों और रेन्जर्स की एक टीम पार्क में तितली की आबादी की निगरानी कर रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि तितलियां तथाकथित बायोइंडिकेटर होती हैं. यह शब्द उन जीवों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनकी सलामती उनके आसपास के ईकोसिस्टम की सेहत के बारे में संकेत देती है.
बदबूदार जाल
अपनी स्टडी के लिए रिसर्चर एक तितली को पकड़ना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने सड़ी हुई मछली और सड़े हुये केले से बना चारा देकर तितली को आकर्षित किया. ऐसा बदबूदार मिश्रण कीड़ों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन जैसा होता है. इसकी गंझ से वे खिंचे चले आते हैं और फिर शोधकर्ता उन कीड़ों को जाल से पकड़ पाते हैं.
सावधानीपूर्वक जांच
अध्ययन का नेतृत्व कर रही एलिसा लेवी (दाएं) की टीम पकड़ी गई तितलियों की जांच करती है. शोधकर्ता चिमटी से कीड़ों को उनके छोटे पेट से सावधानीपूर्वक पकड़ते हैं और उनके पंखों पर लेबल लगाते हैं. डॉक्यूमेंटेशन के बाद, अधिकांश तितलियों को छोड़ दिया जाता है.
छोटा देश, बड़ी विविधता
शोधकर्ता विभिन्न प्रकार की तितलियों का अध्ययन कर रहे हैं. कुछ चमकीले लाल और नीले रंग के हैं, जबकि इस नमूने पर जेब्रा की धारियों जैसा पैटर्न है. अन्य तितलियां कांच की तरह पारदर्शी होती हैं. इक्वाडोर भले ही छोटा हो लेकिन यह एक अत्यंत प्रजाति-समृद्ध देश है, जो लगभग 4,000 तितली प्रजातियों का घर है.
एक नाजुक संतुलन
लेवी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उष्णकटिबंधीय पौधे - अलग-अलग मौसम वाले क्षेत्रों के पौधों के उलट - मौसम में अत्यधिक बदलाव के आदी नहीं हैं. यदि वे तेजी से बदलती जलवायु के अनुकूल ढलने में असफल रहते हैं, तो ये पौधे नष्ट हो सकते हैं, और साथ ही इस तरह के तितलियों के लार्वा भी नष्ट हो जाते हैं जो उन्हें खाते हैं.
खतरे में विविधता
और यहां बिलकुल वही होता हुआ देखा जा रहा है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि केवल कुयाबेनो वाइल्डलाइफ रिजर्व में ही प्रजातियों की संख्या में करीब 10 फीसदी की कमी आई है. वहीं, तितलियों की कुल संख्या में 40 से 50 फीसदी की कमी आ गयी है.
चिंताजनक गिरावट
राजधानी क्विटो में कैथोलिक विश्वविद्यालय की जीवविज्ञानी मारिया फर्नांडा चेका इस गिरावट को "बहुत महत्वपूर्ण" बताती हैं. अंडे से लेकर कैटरपिलर और वयस्क होने तक के अपने छोटे से जीवनकाल में तितलियां ईकोसिस्टम में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर भी बहुत संवेदनशील तरीके से प्रतिक्रिया देती हैं. चेका ने कहा, "यह गिरावट कुछ ऐसी है जो हमें चिंतित करती है."
अपनी तरह का आखिरी
चेका कहती हैं कि "अमेजन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में, प्रजातियों की खोज की दर विलुप्त होने की दर से धीमी है." संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 40 फीसदी अकशेरुकी परागण कर्ता - विशेष रूप से मधुमक्खियां और तितलियां - वैश्विक स्तर पर विलुप्त होने का जोखिम उठाते हैं, तो उससे खुद मानवता के लिए जोखिम पैदा होते हैं. कारण ये कि दुनिया में तीन-चौथाई फल और बीज की फसलें ऐसे ही परागणकर्ताओं पर निर्भर हैं.